जाहिद हबीबी।
कालाढूंगी। कालाढूंगी के आरक्षित वन क्षेत्र बरहैनी रेंज में विश्व का सबसे अद्भुत Oplus_16908288शिवलिंग होने की आस्था के चलते यहां हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल धार्मिक मेला भी लगता है, विश्व का अद्भुत और प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ शिवलिंग होने की वजह से यहां हर कोई आस्था लेकर पहुंचता है। कालाढूंगी से से कुछ ही दूरी पर जंगलों के बीच यह धार्मिक स्थान मोटेश्वर महादेव मंदिर है जो लोगों की श्रद्धा का केंद्र है. मान्यता के अनुसार, भगवान भोलेनाथ यहां विशालकाय रूप में विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार में बड़ा है, तो विश्व का सबसे अद्भुत शिवलिंग माना जाता है। देवभूमि उत्तराखंड अतीत से ही ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है. जहां उन्होंने अपने तपोबल से आध्यात्म को आत्मसात किया है. महात्माओं की एक ऐसी ही तपोभूमि कालाढूंगी के आरक्षित वन क्षेत्र बरहैनी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित है. जहां देवों के देव महादेव का का मंदिर है। कहा जाता है कि इस शिव धाम में इंसान ही नहीं खुंखार जंगली जानवर भी हाजिरी लगाने आते हैं। लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इसलिए इस मंदिर को तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो सालभर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है।
देखा जाए तो मोटेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग में कई आकृतियां उभरी हुई हैं जो इसे अन्य शिवलिंगों से खास बनाती है।
यह मोटेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है. जहां साल भर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. जबकि सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर कांवड़िये भी बड़ी संख्या गंगाजल से शिव का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्तजन मोटेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर शरणागत होकर इनका पूजन करता है वह परम कल्याण का भागी बनता है। यह आस्था का केंद्र कालाढूंगी-बाजपुर मोटर मार्ग से लगभग तीन किमी घने जंगल में साधना व ध्यान की दृष्टि से अद्भुत स्थान है।